Saturday 15 March 2014

सतरंगी होली



सतरंगी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ

स्नेह के रंग
पकवानों के संग
खेलंगे हम |

प्रेम के रंग
रंग दे अंतर्मन
खिले सुमन |

मेरे मोहन
रंग दे तनमन
रंगेज बन |

कोरा था उर
मिलकर तुमसे
हुआ रंगीन |

फाग उत्सव
राधा गोपियों संग
श्याम मगन |

रंग अंतस
तेरी छवि बसा ली
बांकेबिहारी |

राधा ने मारी
नैनो की पिचकारी
रंगे मोहन |

ली अंगडाई
फागुन रुत आई
धरा लजाई |

रंग गुलाल
लगा गौरी के गाल
कर धमाल |

फुल तितली
रंग भरी जिंदगी
हवा महकी |

गुलाबी भोर
गुलमोहर संग
टेसू महके

रंग हैं लाल
रक्त हैं या गुलाल
रखना ख्याल |

फागुन गाये
प्रभात संग पंछी
सुर मिलाये |

अम्बर रूठा
धरा खेले ना होली
फागुन झूठा |

इन्द्रधनुषी
टेसू रंग बिखेरे
अवनि रंगी |

प्रीत की पाती
टेसू रंग से लिखी
पिया के नाम |

स्वप्न थे छिन्न
रंगों में थी उदासी
होली के दिन |

जीतेन्द्र "नील"

Monday 10 March 2014

यादो के दरख़्त


यादो के दरख़्त 

कुछ यादो के दरख़्त
आज भी ठंडी हवा दे रहे हैं
सूना रहे हैं तेरा नाम
ले लेकर ठंडी आहे
कुछ सूखे पत्ते
आज भी उससे जुड़े हैं
उनकी सरसराहट से
जिंदगी के विरानेपन का
अहसास हो रहा हैं
उन दरख्तों से सूखकर टूटती
शाखाओं की चरचराहट
आज भी दिल को
अंदर तक ज़ख़्मी कर रही हैं
याद दिला रही हैं बीते हुए
प्यार भरे दिनों की
जो हमने साथ मिलकर बिताये थे
अब उन यादो के दरख्त
सूखकर बियावान  जंगल 
बनते जा रहे हैं 
उन जंगल में 
मैं तन्हा अकेला 
अपनी यादो के साथ 
जाने कहाँ चला जा रहा हूँ 
एक अनजानी तलाश में 
जहाँ मेरा साया भी साथ 
छोड़ गया ……।




जीतेन्द्र सिंह  "नील"
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