Thursday 13 February 2014

प्रणय निवेदन




प्रणय निवेदन 

प्रणय निवेदन की
अभिलाषा मन में लिए
तेरे ह्रदय द्वार पर
निश्छल प्रेम की
दस्तक लगाई है 
मैंने अपने मन में
तेरे ही प्रेम की
प्रीत  बसायी है
इन नयनो में 
तेरी ही छवि बसती है 
इस ह्रदय की गहराई में 
तुम उतर आई हो 
ह्रदय की हर 
स्पंदन के साथ 
तुमसे मिलने की 
चाहत बढती है
बन गयी हो तुम 
मेरी जिंदगी 
जिंदगीभर तुमसे 
दूर ना रहने की 
कसम खायी हैं
स्वीकार करो 
मेरा प्रणय निवेदन 
तुम्हारे भी हिय में 
मेरी छवि उतर आई हैं
हे जन्म-जन्मांतर का 
साथ हमारा
ईश्वर ने ही 
अपनी जोड़ी बनायी हैं |

जीतेन्द्र सिंह "नील'
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