Wednesday 3 April 2013

उसकी चाहत

उसकी चाहत
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चाहत मेरी
परवान चढ़ती रही
उसको पाने की तमन्ना
दिल में बढती रही
वो जितने पास हैं
मेरे दिल के
जिन्दगी से
उतने ही दूर हैं
उनकी ये दूरी
मेरी जान की दुश्मन
बन गयी
हर पल हर लम्हा
बस उसका ही
ख़याल रहता हैं
अब मुझे
होश कहाँ रहता हैं
खोया रहता हूँ
उसकी ही यादो में
उसकी ही बातो में
दुनिया से जैसे मेरा
नाता टूट गया
मेरी साँसे भी
उसका नाम ले ले
मुझे चिढाती हैं
हर धड़कन
उसकी याद दिलाती हैं
उसकी याद में
ये दिल हो गया शायराना
सुनकर मेरे गीत ग़ज़ल शेरो को
अब लोग मुझे
शायर दिल कहते हैं
ये मेरा दीवानापन कह लो
पागलपन कह लो
उसको मोहब्बत में
मैं खुदा कहता हूँ

नील

2 comments:

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

nice prem ki mohak komal avivyakti ....masum ijhaar ...:)

Unknown said...

shukriya sunita

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